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Posted: 07 Dec 2011 02:41 PM PST लोकतंत्र का, संविधान का, नियमों का जितना दुरूपयोग जनप्रतिनिधि होने के नाम पर जनप्रतिनिधियों ने किया है शायद ही किसी अन्य ने इतिहास में किया हो। फिर बात चाहे सारे राह तिरंगा जलाने की हो, जनभावना को उकसाने की हो, अपनी अभिलाषा के लिए जनता को भीड़तंत्र में बदल मरवाने की हो, भीड़तंत्र के सहारे शासकीय एवं अशासकीय सम्पत्ति को Continue Reading » |
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