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Posted: 07 Jan 2011 10:54 AM PST एक बार फिर एक जनवरी आई। हर बार की तरह समाचार माध्यमों ने वातावरण बनाना प्रारम्भ कर दिया। 31 दिसम्बर की रात और एक जनवरी को दिन भर शोर-शराबा हुआ। लोगों ने एक दूसरे को बधाई लगी और दी। सरल मोबाइल संदेशों (एस.एम.एस) के आदान-प्रदान से मोबाइल कंपनियों की चांदी कटी। रात में बारह बजे लोगों शोर मचाया। शराब, शवाब Continue Reading » |
2010 में लोकतंत्र के चारों खंभे हिल गए Posted: 07 Jan 2011 10:09 AM PST कैलेंडर बदलते ही मानों एक साल बीत जाता है। पूरे साल का नफा-नुकसान जोड़ने बैठेंगे तो हर बार की तरह कुछ खट्टी-मीठी यादांे, घटनाओं, उपलब्धियों, दुर्घटनाओं का नक्शा हम सबके दिलो-दिमाग में तैर जाएगा लेकिन साल 2010 कुछ मायनों में बाकी सालों से हटकर ही है। इस साल जो भी घटा, वो इतिहास के पन्नों में तो दर्ज हो ही Continue Reading » |
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