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- जिन्दगी से परेशान हैं लोग इस जहान में,
- मृत्यु के बाद….
- व्यवस्था का राजनीतिकरण और संवेदनाहीन समाज
- ऐ काश तुम्हे हमारे प्यार पर यकीन होता
- भारतीय संस्कृति और समलैंगिकता
जिन्दगी से परेशान हैं लोग इस जहान में, Posted: 08 Oct 2011 03:22 AM PDT जिन्दगी से परेशान हैं लोग इस जहान में, जिन्दगी जी कर दिखाने वाला कोई-कोई है नफरत ही नफरत है हर दिल में आजकल पैगाम मोहब्बत के पढ़ने वाला कोई-कोई है दोस्त तो बहुत मिल जाते है हर राह में पर दोस्ती निभाने वाला कोई-कोई है ना जिन्दगी चाहती है ना मौत मुझे यहाँ रावल को समझ पाने वाला कोई-कोई है Continue Reading » |
Posted: 08 Oct 2011 01:17 AM PDT मृत्यु के बाद इस धरा के अधिकतर लोग आज इस भ्रम में है कि मृत्यु के बाद सब कुछ समाप्त हो जाता है और मृत्यु बहुत कष्टप्रद स्थिति हैं l या फिर मृत्यु के बाद समान्य जनों को नरक की आग में झुलसना पड़ता है अथवा विशिष्ठ लोगो को स्वर्ग में अप्सराये मिलती हैं l जबकि वास्तविकता इसके बिलकुल विपरीत Continue Reading » |
व्यवस्था का राजनीतिकरण और संवेदनाहीन समाज Posted: 08 Oct 2011 01:06 AM PDT इसे भारतीय लोकतंत्र की विडंबना ही कही जा सकती है कि एक ओर् तो हमारे आदरणीय संत पिछले कुछ दिनों से बाबा रामदेव का अनशन तुड़वाने की मुहिम के चलते देहरादून के एक अस्पताल के चक्कर काटने में जुटे थे, वहीं दूसरी ओर एक गुमनाम सा सन्यासी भागीरथी गंगा को बचाने के लिए अपना सर्वस्व लुटा गया और किसी ने Continue Reading » |
ऐ काश तुम्हे हमारे प्यार पर यकीन होता Posted: 08 Oct 2011 01:00 AM PDT |
Posted: 08 Oct 2011 12:54 AM PDT हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाब नबी आजाद ने अपने वक्तव्य में समलैंगिकता को एक अप्राकृतिक और गंभीर बिमारी कहकर संबोधित किया. उनके इस कथन से गे और लेस्बियन संप्रदाय के लोगों में रोष उत्पन्न होना स्वाभाविक था. लेकिन अगले ही दिन कॉग्रेस और अपने वोट बैंक को बचाने के लिए उन्होंने इस मुद्दे से यह कहते हुए पल्ला Continue Reading » |
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